Saturday, August 12, 2023

हसन खां मेवाती




इतिहास ये भी है
मेवाती बुजदिल नहीं होते ये ज़बान के बड़े पक्के होते हैं जान दे देते हैं लेकिन साथ नहीं छोड़ते।
बाबर ने जब हसन खां मेवाती को निमंत्रण भेजा की तुम राणा सांगा के खिलाफ हमारा साथ दो तो राजा हसन खां मेवाती ने कहा था कि मैं अपनी मातृभूमि के साथ गद्दारी नहीं कर सकता मैं तुम्हारे लिए अपने वतन के भाई राणा सांगा का साथ नहीं छोडूंगा । ये सुनकर बाबर आग बबूला हो गया उसने खंडवा के मैदान में राणा सांगा के खिलाफ़ भयंकर युद्ध शुरू कर दिया।
राजा हसन खां मेवाती को जैसे ही ख़बर लगी वो भी अपने लाव-लश्कर और 1,200 सैनिकों को साथ लेकर राणा सांगा की मदद के लिए पहुँच गए
जँहा भयंकर युद्ध छिड़ गया । इस युद्ध मे दुर्भाग्यवश राजा हसन खां मेवाती के घोड़े का पैर मुड़ गया जिससे घोड़ा गिर गया और राजा हसन खां मेवाती ने ज़मीन पर आकर मोर्चा संभाल लिया राजा हसन खां मेवाती व उनके बेटे नाहर खान
ने राणा सांगा के साथ किया हुआ वादा अपनी खून की अंतिम बूंद तक निभिया 15 मार्च 1527 का कन्वाह के मैदान में पिता और पुत्र अपनी मातृभूमि के लिए शहीद हो गए।
#मेवात