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Sunday, February 27, 2022

Saturday, August 7, 2021

सामाजिक विद्वता, महात्मा गांधी.

 



जिम्मेदारी का पद संभालने के लिए जितनी आवश्यकता अंग्रेजी भाषा के ज्ञान की अथवा दूसरी बड़ी विद्वता की होती है, उससे कहीं अधिक आवश्यकता सच्चाई, शांति, सहनशीलता, दृढ़ता, समय सूचकता, साहस और व्यवहारिक बुद्धि की होती है। जिस मनुष्य में इन सुंदर गुणों का अभाव हो उसमें उत्तम कोटि की विद्वता हो तो भी सामाजिक कार्य में उसका कोई मूल्य नहीं है ।

गांधीजी का ईश्वर




       "मैं सत्य का एक विनम्र शोधक हूं। इसी जन्म में आत्मसाक्षात्कार के लिए मोक्ष प्राप्त करने के लिए आतुर हूं।

            करोड़ों गूंगी जनता के हृदय में बसे ईश्वर के सिवाय मैं और किसी ईश्वर को नहीं जानता। लोग अपने अंदर ईश्वर को पहचानते नहीं। मैं पहचानता हूं। इन लाखों-करोड़ों लोगों की सेवा के द्वारा मैं सत्य रुपी  परमेश्वर की पूजा करता हूं।"  महात्मा गांधी

Saturday, June 12, 2021




इलाहाबाद से प्रतापगढ़ जाने वाली कैमल कार्ट ये डबल डेकर है। हिन्दोस्तान में इस तरह की सवारी 18वी सेंचुरी के आखिर तक लंबे सफर के लिए इस्तेमाल की जाती थी।
#mughal_saltanat

Wednesday, May 27, 2020

मेरा नाम औरंगजेब है मेरा हमेशा चर्चा रहा है

मेरा नाम औरंगजेब है मेरा हमेशा चर्चा रहा है
क्यूंकि
मैंने दीने इलाही नहीं चलायी
क्यूंकि मैं शासक हूँ, मैं ने दारा को मरवा दिया,
क्यूंकि उसने खाणे मे जहर मिलाया था
क्यूंकि मेरे हरम में रानियाँ नहीं हैं , जितनी मेरे पूरवज शौक़ से रखा करते थे.....
क्यूंकि मैंने कभी सरकारी माल से अपना पेट नहीं भरा,
खुद नमाज को टोपी शिलाकर आपण खरचा चलाता था
क्यूंकि मैं अपने साम्राज्य को काबुल से लेकर कन्याकुमारी तक फैला देना चाहता हूँ
क्यूंकि मैं अपनी बिमारी की हालत में भी देश की इत्तिहाद के लिए दौड़ता रहता हूँ
क्यूंकि पहली बार जुनुबी भारत में मैंने एक बेहद ताक़तवर मालगुजारी का बन्दोबस्त किया
. मैंने अपनी रियाया के खून पसीने की कमाई को बर्बाद नहीं कर सकता हूँ.
. क्यूंकि मुझे चीनी मिटटी के बर्तन, करोंदे और सुपारी से प्यार है
. क्यूंकि मैं हवाई, आडंबर से भरे, और चाटुकारी अदब से नफरत करता हूँ
, क्यूंकि मैंने फारसी का एक ऐसा लुगत तैयार करवाया जिससे मैं हिंदी ज़बान सीख सकूं क्यूंकि मैं वीणा बजाने में बहुत माहिर हूँ
, क्यूंकि मेरे राज में संगीत जितनी ऊंचाई को पहुंचा है उतना कभी इस देश ने देखा नहीं है
.. क्यूंकि मैंने मथुरा और बनारस के मंदिरों को बर्बाद करवा दिया क्यूंकि वहा पुजारी औरतो के साथ बलात्कार करते थे
मैंने सोमेश्वर नाथ का महादेव मंदिर, कशी विश्वनाथ मंदिर, बालाजी का मंदिर, उमानंद का मंदिर, जैन मंदिर, शुमाली हिंदुस्तान के गुरुद्वारों को अपनी जागीरें दान की हैं...
क्यूंकि मैंने मुहर्रम खान से कहा है की दुनियावी मामलों में मज़हब का कोई दखल नहीं होता
और सुलतान की आँखों में इन्साफ सबसे ऊपर होता है..
मैने चीन पे आक्रमण कर के हिंदू ओ के लिये कैलाश मान सरोवर की यात्रा का रास्ता खोला
अमरनाथ यात्रा ओ का रस्ता खोला
मेरे दरबार मे ब्राम्हण ,रजपूत और मराठा सेनापती भि थे और दरबारी प्रशासक भि
क्यूंकि मीर हसन से मैंने कहा है कि ब्रह्मपुरी पुँराना नाम था.. उसे इस्लामपुरी में तब्दील कर तुमने गलत किया है..
क्यूंकि मैंने उस गरीब ब्रह्मण के चोरी हुए शिवलिंग को अपने कड़े फरमान ज़ारी कर ढूंढवा कर दिया ..
. क्यूंकि बनारस के उस गोसाईं को परेशां करने वाले मुसलमानों के खिलाफ मैंने सख्त फरमान दिए हैं.
. इन सारे जुर्मों का मैं ऐतराफ तो करता हूँ...
लेकिन कह देता हूँ.. मुझे मुजरिम सिर्फ इसलिए करार दिया गया क्यूंकि मैं 49 साल हिंदुस्थान का बदशाह हो कर भि मैं
आम इंसांन की तरह दिन के हिसाब से हुकूमत की और
आम इंसांन की तरह ही हिंदुस्थान की मिटठी मे समाया हू
तुम लाख झूट फौलाओ लाख नफरत करो
49 साल की हुमूमत मे आवाम और हिंदूस्थान के लिये किये काम की बदोलत
हिंदूस्थांन का इतिहास झुटा साबीत कर सकता है लेकीन भुला नही सकता
क्यू की मैं हकीकत हू....
मैं औरंगजेब हू.


Wednesday, May 20, 2020

शख्सियत



जेल से रिहा होने के बाद मोहानी के पास रोजी-रोटी का कोई साधन नही था। गुजर-बसर के लिए उन्होंने स्वदेशी कपड़ों का व्यापार करने का निर्णय लिया। अलीगढ़ के मिस्टन रोड पर ‘खिलाफत स्टोर लिमिटेड’ कायम किया। जिसमें उन्होंने अर्से तक स्वदेस निर्मित कपड़े खरीद-फरोख्त करते रहे। हसरत मोहानी हिन्दुस्तान के वह पहले व्यक्ति थे जिन्होंने स्वदेशी कपड़ों का व्यापार किया और जनता को उसके इस्तेमाल का फायदा समझाएं।