ऐ अल्लाह तू रहीम है , रब्बुल आलमीन है, रब्बुल इज्जत है ... तेरे मर्जी के बिना पत्ता भी नही हिल सकता । तेरे लाठी में जोर है, आवाज नही मगर चींटी के पैरो की घुंगरू की आवाज भी तू सुन सकता है। मेरी हलदिल की दुवा कबूल कर दे। तमाम दुनिया के कितने फसाद को नेस्तनाबूद कर दे, उनके इरादे रखनेवाले दिलो को साफ कर दे। आपसी मोहब्बत और भाईचारा बड़ा दे। ऐ अल्लाह मेरी दुवाओ को कबूल कर दे। आमीन- सुम्मामिन।
॥ऐ ऐ दुनिया , ऐ दुनिया, हाय हमारी ऐ दुनिया
शैतानो की बस्ती है, यहाँ जिंदगी सस्ती है। ऐ दुनिया.