Friday, June 11, 2021

इस्लाम: आधुनिक युग का निर्माता



भौतिक विज्ञान14 वीं सदी तक इस अनुवाद-कार्य का सिलसिला जारी रहा। न केवल अल-राज़ी, इब्न सीना (Avicena) और इब्न रूश्द (Averroes) इत्यादि की पुस्तकें, बल्कि गैलेन (जालीनूस), हिप्पोक्रेट्स, प्लेटो, अरस्तू, यूक्लिड्स और टॉलेमी इत्यादि की पुस्तकों का भी अरबी भाषा से लैटिन भाषा में अनुवाद किया गया। डॉक्टर गिलकिर्क ने उस समय के इतिहास पर लिखी अपनी पुस्तक में तीन सौ से अधिक अरबी पुस्तकों का लैटिन भाषा में अनुवाद होने की चर्चा की है।
तमद्दुन-अरब
दूसरे पश्चिमी विद्वानों ने और अधिक स्पष्ट रूप में इस ऐतिहासिक सच्चाई को स्वीकार किया है। उदाहरण के तौर पर– रॉबर्ट ब्रिफॉल्ट ने लिखा है कि यूनानियों ने सिस्टम पैदा किया, इसके आम प्रयोग का विचार दिया, नियम और सिद्धांत निर्धारित किए, लेकिन लंबे समय के अवलोकन की मेहनत और जाँच प्रयोग द्वारा खोज का काम यूनानी स्वभाव के लिए बिल्कुल अजनबी था।
वैज्ञानिक प्रगति के प्रसिद्ध इतिहासकार जॉर्ज सार्टन लिखते हैं कि जिस चीज़ को हम विज्ञान कहते हैं, इसकी मूल और सबसे बड़ी कामयाबी, जो बाद की वैज्ञानिक गतिविधियों को बढ़ावा देने का कारण बनी, वह व्यावहारिक जाँच-प्रयोग, अवलोकन, अनुभव और हिसाब के नए तरीकों के परिणामस्वरूप पैदा हुई थी और इसे मूल रूप से मुसलमानों द्वारा अस्तित्व में लाया गया। जाँच प्रयोग की यह भावना 12 वीं सदी तक बनी रही और यह चीज़ यूरोप को अरबों के माध्यम से मिली।
इस प्रकार की जानकारी देते हुए ब्रिफॉल्ट ने कहा है कि हमारे विज्ञान पर अरबों का जो अहसान है, वह केवल यह नहीं है कि उन्होंने हमें क्रांतिकारी दृष्टिकोण के बारे में आश्चर्यजनक खोजें प्रदान की, बल्कि विज्ञान इससे भी अधिक अरब संस्कृति का एहसानमंद है, वह यह कि इसके बिना आधुनिक विज्ञान का अस्तित्व ही न होता।
_Briffault, Making of Humanity, p-190_
ब्रिफॉल्ट के इन व्यख्यानों को वैज्ञानिक प्रगति और विकास के प्रसिद्ध इतिहासकार जॉर्ज सार्टन ने मज़बूती दी है। इस्लामी सभ्यता और मुसलमानों के कामों ने वैज्ञानिक इतिहास की धारा को किस प्रकार प्रभावित किया, उनके इस योगदान को जॉर्ज सार्टन ने अपनी पुस्तक ‛हिस्ट्री ऑफ़ साइंस’ के तीन खंडों में दर्शाया है।
_Introduction to the History of Science, 3 Volumes, George sarton. Baltimore, Williams and Walkins, 1945_


जॉर्ज सार्टन ने लिखा है कि मध्ययुग की मूल और सबसे बड़ी सफलता जाँच-प्रयोग की भावना को पैदा करना था। जाँच-प्रयोग और अनुसंधान की यह भावना वास्तव में मुसलमानों ने पैदा की, जो 12 वीं सदी तक जारी रही और यह चीज़ यूरोप को अरबों के माध्यम से मिली। निःसंदेह आधुनिक विज्ञान आधुनिक दुनिया के लिए इस्लामी सभ्यता की सबसे बड़ी और महानतम देन है।

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