Thursday, April 28, 2022



बिहार मे सबसे पहले क्रांति की शुरुवात 12 जून 1857 को होती है, जब देवघर ज़िले के रोहिणी नामक जगह पर अमानत अली, सलामत अली और शेख़ हारून बग़ावत कर अंग्रेज़ अफ़सर को मार देते हैं और इस जुर्म के लिए इन्हे 16 जून 1857 को आम के पेड़ पर लटकाकर फांसी दे दी जाती है. और इस तरह बिहार मे क्रांति की शुरुआत होती है… न दबाया ज़ेर ए ज़मीं उन्हें

न दिया किसी ने कफ़न उन्हें
न हुआ नसीब वतन उन्हें
न कहीं निशाने मज़ार है।



29 जून 2019 को देवघर जाना हुआ; मक़सद यही था के इन शहीदों के निशानात ढूंडा जाए; जानकारी इकट्ठी करने के बाद एक चीज़ जान कर अच्छा लगा के इन शहीदों को शहर ने याद रखा है, तीनो शहीदों की याद में शहर के बीच में एक स्मारक है! साथ ही रोहिणी में भी एक शहीद स्मारक है, और जेसीडिह - देवघर रोड पर एक द्वार इन शहीदों के नाम पर है!

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