टामस रो,जो ब्रिटेन के शासक जेम्स प्रथम के राजदूत थे, ने 10 जनवरी, 1616 ईस्वी को अजमेर में मुगल सम्राट जहांगीर के समक्ष उपस्थित हो कर अपना परिचय पत्र प्रस्तुत किया था.
नियति की अदृश्य रेखाऐं किस कदर निष्ठुर हो जाती है ,तब किसी ने भी कल्पना नहीं की थी कि जो टामस रो याचक बन कर मुगल सम्राट जहांगीर के समक्ष व्यापारिक सुविधाएं प्राप्त करने के लिए याचना कर रहा है, अवसर आने पर उसके वंशज अंतिम मुगल सम्राट बहादुर शाह जफर को, 'दो गज जमीन न मिल सकी कु ए यार में ' लिखने के लिए विवश कर देंगे.
इतिहास साक्षी है कि अंतिम मुगल सम्राट बहादुर शाह जफर को 1857 ईस्वी में ईस्ट इंडिया कम्पनी से पराजित होने पर सुदूर रंगून में एक निर्वासित व्यक्ति के रूप में जीवन के अंतिम दिन व्यतीत करने पड़े थे.
No comments:
Post a Comment