Friday, March 22, 2013

में युही मस्त नगमे लुटाता रहू

तुम अगर साथ देने का वादा करो 
में यु ही मस्त नगमे लुटता रहू 
तुम मुझे देखकर मुस्कुराती रहो 
में तुम्हे देखकर गीत गाता रहू



कितने जलवे फिजाओ में बिखरे मगर 
मैंने अब तक किसी को पुकारा नहीं 
तुमको देखा तो नजरे ये कहने लगी 
हमको चहरे से हटना गवारा नहीं 
तुम अगर मेरी नजरो के आगे रहो  
में हर एक शाह के नजरे चुराता रहू 
तुम अगर साथ देने का वादा करो 
में यु ही मस्त नगमे लुटता रहू 



मैंने ख्वाबों में तराशा जिसे 
तुम वही संग-ए-मरमर की तस्वीर हो 
तुम न समझो तुम्हारा मुकद्दर हु में 
में समझता हु तुम मेरी तक़दीर हो 
तुम अगर मुझको अपना समझने लगो 
में बहारों की महफिल सजाता रहू 
तुम अगर साथ देने का वादा करो 
में युही मस्त नगमे लुटाता रहू 



में अकेले बहोत देर चलता रहा 
अब सफ़र जिंदगी का ये कटता नहीं 
जब तलक कोई रंगी सहारा ना हो 
वक्त काफिर जवानी का कटता नहीं 
तुम अगर हमकदम बन के चलती रहो 
में जमी पर सितारे बिछाता रहू 
तुम अगर साथ देने का वादा करो 
में युही मस्त नगमे लुटाता रहू 

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