Wednesday, April 6, 2022

Arabic language







हमारा ज़ाती तजुर्बा है कि अरबी ज़बान सीखने से इल्म में बरकत होती है.
इसकी सब से बड़ी वजह ये है कि क़ुरआन ए करीम अरबी में है और फिर मुस्लिम स्काॅलर्स ने क़ुरआन की तफ़्सीर हर नुक़्ता ए नज़र मसलन साइंस, लॉजिक, फलसफा वगैरा से की. इन तफ़सीरों से जहां क़ुरआन के समझने समझाने में आसानी हुई वहीं अरबी ज़बान का दामन वसी से वसी-तर होता गया और दुनिया ज़माने के उलूम अरबी ज़बान में दाखिल होकर इकट्ठे हो गए इसलिए पढ़ने की जगह को अरबी में kulliyah कहते थे. इंग्लिश का कॉलेज अरबी के kulliyah से बना है क्यूंकि यहां कुल यानी तमाम उलूम जमा हो जाते हैं.
दूसरी वजह अरबी की ग्रामर है. अरबी की ग्रामर बहुत ज़्यादा फैली हुई है. इतनी बारीक ग्रामर शायद ही दुनिया की किसी ज़बान की हो. ग्रामर के दो हिस्से हैं पहला सर्फ और दूसरा नह्व. सर्फ में लफ्ज़ के बनाने के बारे में पढ़ाया जाता है जबकि नह्व में जुमले. क्यूंकि ज़बान सीखना बारीक इल्म में से आता है इसलिए बच्चे का ज़हन तेज़ होता जाता है.
इसीलिए अपने बच्चों को अरबी ज़रूर पढ़ाएं ताकि वो इल्म और दीन की खिदमत कर सकें और सब से बड़ी बात बा क़ौल अल्लामा इकबाल कि अरबी हमारे आक़ा ओ मौला सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की ज़बान है.

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