.हिन्दू भाई का एक सवाल की खुदाई में 4 या 5 हजार साल पुरानी मस्जिदें क्यों नहीं निकलती सिर्फ मंदिर और मूर्तियां ही क्यों निकलती है
जवाब... मेरे भाई अल्लाह ने ये बात 1400 साल पहले ही लिख दी
क़ुरआन का अध्ययन करने पर पता चलता है कि अल्लाह पाक ने उन्ही क़ौमों और बस्तियों को हलाक व तबाह किया है जो पूरी तरह बुतपरस्ती मूर्ती पूजक और कुफ्र में शामिल हाल थी और अपने वक़्त के पैग़म्बर की बात ठुकरा देती थीं।
इनमें से कुछ पर उनके दुश्मन उन पर मुसल्लत कर दिये गये तथा कुछ की बस्तियों ज़मीन में धंसा दी गई और कुछ पर आंधियों, तूफ़ानों और पत्थरों की बारिश बरसा कर उनकी बस्तियों को इस सतह ज़मीन से मिटा दिया गया।
अब आज अगर खुदाई में ज़मीन में दफ़न हो चुकी सभ्यताओं के अवशेषों में सिर्फ़ मूर्तियां और मंदिर ही बरामद होते हैं तो इसमें आश्चर्य कैसा? क़ुरआन तो पहले ही बता रहा है कि इनको मिटाया ही इसलिये गया था कि यह लोग भी इसी ग़लतफ़हमियों में मुब्तिला थे कि पूर्वजों और पुरखों से चली आ रही अपनी परंपरा ही सत्य है। जैसा कि इस सवाल से भी प्रतिध्वनित होता है।
चार छह हज़ार साल पहले मस्जिद बनती थी इसके सुबूत के लिये हमें ज़मीन खोदने की ज़रूरत नहीं पड़ती है। काबा और बैतूल-मक़्दिस ज़मीन के ऊपर मौजूद हैं जिनकी हिस्ट्री पढ़ लीजिए तो आपको पता चल जाएगा कि इनका इतिहास सिर्फ़ चौदह सौ साल पुराना नहीं है। बाक़ी अगर आप मस्जिद की उस शक्ल को पुरातत्व में तलाश रहे हैं जो आज नज़र आती है, तो वह आपको इसलिए नहीं मिलेगी कि जमाअत के साथ सामूहिक रुप से नमाज़ पढ़ने का हुक्म चौदह सौ साल पुराना ही है। तथा मस्जिदों का यह गुंबद और मीनार वाली स्थापत्य कला तो और बाद में वजूद में आई है। इसलिये दीन-ए-क़य्यिम (इस्लाम) की प्राचीनता उसके पूजागृहों की स्थापत्य कला के अवशेषों में नहीं बल्कि उस पैग़ाम में ढ़ूढिये जिसका वह अलमबरदार है।
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