Thursday, May 15, 2025

"ये ऐतिहासिक तस्वीर है जो मिडल ईस्ट की तक़दीर को हमेशा के लिए बदल देगी"




1. सीरिया वापस आ गया है — एक नार्मल मुल्क की तरह, बिना सैंक्शन्स के।
इतने सालों की जंग, बर्बादी और तनहाई के बाद अब सीरिया फिर से मेज़ पर बैठा है, बातचीत का हिस्सा है। उसपर से सारे सैंक्शन हटा लिए गए हैं, अब उसे कोई 'isolated state' नहीं कह सकता।
2. सऊदी अरब का लीडरशिप रोल फिर से एक्टिव हो गया है।
पूरे अरब वर्ल्ड को अब रियाद से direction मिल रहा है — चाहे वो political हो, religious या फिर diplomatic। सऊदी अब सिर्फ ऑइल का राजा नहीं, डिप्लोमेसी का भी बॉस है।
3. सऊदी और तुर्की का रिश्ता फिर से बहाल हो गया है।
पहले जो tensions थे, वो अब पीछे रह गए हैं। अब दोनों country मिलकर regional peace और economic collaboration की बात कर रहे हैं।
4. सऊदी और ईरान अब आमने-सामने नहीं, बल्कि साथ-साथ हैं।
ये वही दो मुल्क हैं जो पहले एक-दूसरे को eye to eye नहीं देख सकते थे। अब बात हो रही है — समझदारी, patience और mutual interest की।
5. इज़राइल अब अमेरिका का ‘region ka supervisor’ नहीं रहा।
पहले हर regional decision में वॉशिंगटन और तेल अवीव का हाथ होता था। अब गेम बदल गया है — decisions अब रियाद, तेहरान और अंकारा से निकल रहे हैं।
6. 2002 वाली Arab Peace Initiative दोबारा table पर है।
जो प्लान था कि अगर इज़राइल Palestine को proper statehood दे, तो अरब दुनिया उससे relation normalize कर सकती है — वो बात अब फिर से उठ रही है।
7. अब कोई Abraham Accord फिलिस्तीन राज्य को बनाए बिना possible नहीं है।
अब साफ मैसेज है — अगर Palestine को हक़ नहीं मिला, तो normalization का रास्ता बंद है।
Bottom line ये है: अब मिडल ईस्ट खुद अपने फैसले ले रहा है। Divide-and-rule का टाइम गया। अब cooperation, unity और dignity की politics वापस आ रही है।
ये सिर्फ एक तस्वीर नहीं — ये एक whole new chapter है, मिडल ईस्ट की हिस्ट्री में।







No comments:

Post a Comment