मुसलमान केवल एक मा’बूद (पूज्य) की उपासना करता है जिसका कोई साझीदार नहीं, जिसके सुंदर नाम और उच्चतम गुण हैं। चुनाँचि मुसलमान की दिशा और उसका उद्देश्य एक होता है, वह अपने पालनहार और सृष्टिकर्ता पर विश्वास रखता और उसी पर भरोसा करता है, और उसी से मदद, सहायता और समर्थन मांगता है, वह इस बात पर विश्वास रखता है कि उस का पालनहार हर चीज़ पर सक्षम और शक्तिवान है, उसे बीवी और बच्चे की आवश्यकता नहीं है, उस ने आसमानों और धरती को पैदा किया, वही मारने वाला, जिलाने वाला, पैदा करने वाला और रोज़ी देने वाला है। अत: मुसलमान बन्दा उसी से रोज़ी मांगता है। वह अल्लाह सुनने वाला क़बूल करने वाला है, अत: बन्दा उसी को पुकारता (दुआ करता) और क़बूलियत की आशा रखता है। वह अल्लाह तौबा स्वीकार करने वाला, क्षमा करने वाला दयावान् है अत: बन्दा जब पाप करता है और अपने रब की इबादत में कोताही करता है, तो उसी के सामने तौबा करता है। वह अल्लाह सर्वज्ञानी, सब चीज़ों की सूचना रखने वाला, और देखने वाला है जो कि दिल की इच्छाओं, भेदों और सीने की बातों को भी जानता है, अत: बन्दा गुनाह के पास जाने से शर्म करता है और अपने नफ्स पर या किसी दूसरे पर ज़ुल्म नहीं करता है, क्योंकि वह जानता है कि उसका पालनहार उस से अवगत है और उसे देख रहा है। वह जानता है कि उस का रब हकीम (तत्वदर्शी) है, ग़ैब (प्रोक्ष) की बातों का जानने वाला है, अत: जो कुछ अल्लाह ने उसके लिए चयन किया है और उस के बारे में मुक़द्दर किया है, उस पर विश्वास और भरोसा करता है, और इस बात को मानता है कि उसके रब ने उस पर ज़ुल्म नहीं किया है, और उस ने उसके लिए जो भी फैसला किया है वह उसके लिए बेहतर है, अगरचे बन्दे को उसकी हिकमत (तत्वदर्शिता) का ज्ञान न हो।
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