"मैं सत्य का एक विनम्र शोधक हूं। इसी जन्म में आत्मसाक्षात्कार के लिए मोक्ष प्राप्त करने के लिए आतुर हूं।
करोड़ों गूंगी जनता के हृदय में बसे ईश्वर के सिवाय मैं और किसी ईश्वर को नहीं जानता। लोग अपने अंदर ईश्वर को पहचानते नहीं। मैं पहचानता हूं। इन लाखों-करोड़ों लोगों की सेवा के द्वारा मैं सत्य रुपी परमेश्वर की पूजा करता हूं।" महात्मा गांधी
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